वह 10 अवस्था कौन सी है
1. दीप्त अवस्था:
जो ग्रह अपनी उच्च राशि में या मूल त्रिकोण राशि में या खुद की राशि में होता है तब वह ग्रह दीप्त अवस्था में होता है ।
दीप्त अवस्था में स्थित ग्रह की दशा में जातक अपने प्रताप से प्रचंड खुद के शत्रुओं का नाश करता है, लक्ष्मी होती है।
2.स्वस्थ अवस्था:
स्वस्थ अवस्था जोक रहा अपनी उच्च राशि में होता है ।
स्वस्थ ग्रह की दशा में जातक को रत्न प्राप्ति सुख प्राप्ति
सुवर्ण रत्ना आदि की प्राप्ति होती है उच्च पद एवं ग्रुप कुटुंब की वृद्धि होती है
3. मुदित अवस्था जब ग्रहों अपने मित्र राशि में हो तो मुदित अवस्था होता है
मुदित अवस्था में स्थित ग्रहों की दशा में जातक हर्ष पूर्ण, स्वर्णा दी रत्नों से परिपूर्ण, शत्रु का नाश करने वाला, समस्त सुखों का भुगतान होता है
4. शांत अवस्था जो ग्रह चंद्र से युक्त होता है वह शांत अवस्था में होता है
शांत ग्रह की दशा में जातक शांत चित्र वाला सुख और धन युक्त, राजा का मंत्री, परोपकारी, धर्म लीन होता है
5. अवस्था मित्र ग्रह से युक्त हो तथा शुभ में हो वह ग्रह शक्त अवस्था में होता है
अवस्था में स्थित ग्रह की दशा में जातक श्री सुख वस्त्र माला सुगंध आदि पदार्थों से सुशोभित यशस्वी तथा सर्वर साधारण जनों का स्वामी, और प्रसिद्ध होता है
6. पीड़ित अवस्था शत्रु क्षेत्री या ग्रह से संबंधित हो जो पीड़ित अवस्था में होता है
ग्रह की दशा में जातक रोग शत्रु आदि से दुखी पीड़ित तथा बंधु जनों से वियोग में देश देशांतर में भ्रमण करता है
7. हीन अवस्था नवमांश में निर्बल होने पर ग्रहण या फिर अवस्था में होता है
हीन के ग्रहों की दशा में जातक संघर्ष करते हुए बल हीन हो जाता है, शत्रु पीड़ित, पराजित होता है और अत्यंत दीनता को प्राप्त करता है
8. खल अवस्था या विकल अवस्था जो ग्रह अशुभ वर्ग में हो खल अवस्था में होता है
इस अवस्था में स्थित ग्रह की दशा में स्थान पदभ्रष्ट,
युक्त मलिन परदेस वासी बोल रही थी शत्रु के भय से शंका युक्त रहता
9. विकल अवस्था जो ग्रह अस्त का होता है वह विकल अवस्था में होता है
विकल अवस्था में स्थित ग्रहों की दशा में स्थान भ्रष्ट, पर देशवासी, निर्बल होता है,
10. भीत अवस्था जो ग्रह नीच का होता है वह भीत में होता है
इस अवस्था में स्थित ग्रहों की दशा में जातक कितना भी प्रयत्न कर ले पर सफल नहीं हो पाता दीनता का अनुभव करता हुआ प्राचीन एवं पीड़ित होता है।
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