Tuesday, March 15, 2016

नक्षत्र क्या है ..?charan/pad kese kare..?





नक्षत्र यानि आकाश में स्थित तारा के समूह। ..
भारतीय ज्योतिषशास्त्र में जन्मकुंडली के आधार पर शुभ -अशुभ फल निर्णय होते है।
जन्मकुंडली याने जन्म के समय पूर्व क्षितिज पर उदित राशि। .. किन्तु  शुभ-अशुभ फल का निश्चित समय का निर्णय करने के लिए दशा-अन्तर्दशा,गोचर के ग्रह,वेध विचार जैसे बहुत से विषयो को ध्यान में ले कर फल निर्णय कह शकते है । प्रथम नक्षत्र से विचार करे.....
ज्योतिष शास्त्र में पृथ्वी को पिंड (स्थिर) समजे तो सूर्य का जो भ्रमण मार्ग है उसे क्रांतिवृत्त कहा जाता है।
अर्थात वो ३६० डिग्री का वृत हुआ । उस  के १२ राशि में विभाजित करने पर प्रत्येक राशि ३० डिग्री की प्रत्येक राशि होती है। इसी वृत को २७ नक्षत्रो से विभाजित करने पर प्रत्येक नक्षत्र १३ ° २०` होता है।
हमारा शास्त्र प्रत्येक नक्षत्र को ४ से विभाजित करता है । अर्थात १ नक्षत्र में ४ पाद (भाग) या चरण होता है।
इसीलिए १ राशि में २ नक्षत्र ओर तीसरे नक्षत्र का १ चरण(भाग ) आता है।
 १ राशि =30 °
१ नक्षत्र =13° २०`
अर्थात १ राशि=९ नक्षत्र चरण
मेष राशि में  अश्विनी(13° २०`) ,भरणी(13° २०`) ,कृतिका का प्रथम चरण (3° २०`)
वृषभ राशि में कृतिका (१० ° २०`),रोहिणी (13° २०`),मृगशीर्ष  के प्रथम २ चरण (६° ४०`)
मिथुन  राशि में मृगशीर्ष के अंतिम २ चरण (६° ४०`),आर्द्रा (13° २०`),पुर्नवर्सु के तीन चरण(१०°)
कर्क राशि के पुर्नवर्सु के अंतिम चरण  (3° २०`),पुष्य (13° २०`) ,आश्लेषा के दो चरण (६° ४०`)
सिंह राशि में मघा(13° २०`) ,पूर्वा फाल्गुनी (13° २०`) ,उत्तरा फाल्गुनी का प्रथम चरण (3° २०`)
कन्या राशि में उत्तर फाल्गुनी के अंतिम तीन चरण(१०°),हस्त(13° २०`),चित्रा के दो चरण(६° ४०`)
तुला राशि में चित्रा के अंतिम दो चरण(६° ४०`),स्वाति (13° २०`),विशाखा के तीन  चरण(१०° )
वृश्चिक राशि में विशाखा का अंतिम चरण (3° २०`),अनुराधा (13° २०`) ,ज्येष्ठा(13° २०`)
धन राशि में मूल (13° २०`) ,पूर्वाषाढ़ा (13° २०`) ,उतरा षाढ़ा का प्रथम चरण (3° २०`)
मकर राशि में उतरा षाढ़ा के तीन चरण (१०° ),श्रवण (13° २०`),धनिष्ठा के दो चरण(६° ४०`)
कुंभ राशि में धनिष्ठा के दो चरण (६° ४०`),शतभिषा  (13° २०`) ,पूर्वा भाद्रपद के तीन चरण (१० ° )
मीन राशि में पूर्व भाद्रपद का अंतिम चरण  (3° २०`),उत्तराभाद्रपद  (13° २०`) ,रेवती  (13° २०`)



Monday, February 8, 2016

Nadi dosh


एक नाड़ीस्थनक्षत्रे दम्पत्योर्मरण  ध्रुवं ।
सेवायां च भवेद्धानि विवाहे प्राण नाशकः ।।

वर-कन्या कि एक नाड़ी हो तो निश्चय मरण, सेवा में हानि और विवाह में प्राणों का नाश होता है ।

आदि नाड़ी वर हान्ति मध्य नाड़ी च कन्यकाम् ।
अन्त्यनाड़ायां दूयोमृत्यु नाड़ी दोषं त्यजेद् बुधः ।।

आदि नाड़ी वर को, मध्य नाड़ी कन्या को और अन्य नाड़ी दोनों का हनन करती हैं। इससे नाड़ी दोष विद्वानों को त्याग देना चाहिए।

नाड़ी दोषश्च विप्राणां  वर्णदोषस्तु भुभ्रुजाम्।
गण दोषश्च वैश्यषु योनि दोषतु पादजाम्।।

विवाह में ब्राह्मणों के लिए नाड़ी दोष, क्षत्रियों के लिए वर्ण दोष, वैश्यों को गण दोष और शुद्रों को योनि दोष विशेष कर विचारनाचाहिए।

एक नक्षत्र जातानां नाड़ी दोषो न विधते।
अन्यर्क्षे नाड़िवेधे च विवाहो वर्जितः सदा।

ऐकर्क्षे  चैक पापे च विवाहो मरणः प्रदः।।
ऐकर्क्षे भिन्न पापे च विवाहः शुभदायक ।।

एक नक्षत्र में उत्पन्न हुए वर-कन्या को नाड़ी का दोष नहीं है।  जो दूसरे नक्षत्रों का नाड़ी वेध हो तो विवाह सदा वर्जित है परन्तु एक नक्षत्र में एक ही चरण हो तो विवाह मरणदायक और एक नक्षत्र में अलग-अलग चरण हो तो विवाह शुभदायक है..

Sunday, February 7, 2016

राहु गोचर फल




राहु गोचर फल 

  राहु  गोचर फल जन्मकी चन्द्र राशि से  विचार करे

१. रोग 
२. वित्तनाश 
३. सुख 
४. दुःख 
५.  धन नाश 
६.सुख 
७.स्त्री नाश 
८.मृत्यु 
९,हानि 
१०.लाभ 
११.सुख प्राप्ति 
१२.व्यय 

शनि गोचर फल



शनि  गोचर फल 

  शनि  गोचर फल जन्मकी चन्द्र राशि से  विचार करे

१. रोग - मरण क्रिया कर्त्ता 
२. धन-कुटुंब  हानि 
३. पद-नौकरी प्राप्ति,नौकर-चाकर  एवं धन प्राप्ति 
४. स्त्री-बंधु-धन में नुकसान 
५. सुख की कमी,संतान नाश,बुध्धि भ्रम 
६.सर्व सुख प्राप्ति 
७.स्त्री से रोग,यात्रा-भय के कारण उद्वेग  
८.संतान-पशु-मित्र -धन नाश,रोग पीड़ा 
९,पिता तुल्य व्यक्ति की मृत्यु,नित्य दुःख, 
१०.मानभंग ,रोग,पापकर्म वृत्ति 
११.धन-यश-सुख प्राप्ति 
१२.शत्रु से धन नाश,संतति रोग पीड़ित 

शुक्र गोचर फल




 शुक्र  गोचर फल 

  शुक्र  गोचर फल जन्मकी चन्द्र राशि से  विचार करे
१. सर्व प्रकार के विषयभोग 
२. धन प्राप्ति 
३. प्रगति 
४. सुख - मित्र वृध्धि 
५. पुत्र लाभ,
६. विपत्ति 
७.स्त्री पीड़ा  
८.पद प्राप्ति 
९,सुख 
१०.कलह 
११.निर्भयता 
१२.अर्थ-धन प्राप्ति 


गुरु गोचर फल

 
गुरु  गोचर फल

गुरु  गोचर फल जन्मकी चन्द्र राशि से  विचार करे

१. शत्रुता,देश से गमन,व्यय 
२.धन लाभ,कुटुंब सुख,प्रभाव प्राप्ति 
३.स्थिति या स्थान नाश,मित्र किं मृत्यु,व्ययसाय में नुकसान,रोग प्राप्ति,  
४. अपमान,बंधु दुःख,पशु भय 
५. पुत्र प्राप्ति,सज्जन-राजपुरुष से मित्रता,
६. शत्रु-स्व ज्ञांति जान से पीड़ा या व्याधि 
७. शुभ हेतु से यात्रा,स्त्री-संतान प्राप्ति 
८. यात्रा कष्ट,अरिष्ट,धन नाश, निर्धनता 
९.सौभाग्य सिध्धि,
१०.पद-पुत्र-धन से पीड़ा 
११.पद प्राप्ति,मन-पुत्र प्राप्ति 
१२.दुःख, द्रव्यनाश ,भय 

बुध गोचर फल



बुध गोचर फल जन्मकी चन्द्र राशि से  विचार करे 
१. धन नाश 
२. धन लाभ 
३. शत्रु भय 
४. धन प्राप्ति 
५. स्त्री-पुत्र से कलह 
६. विजय 
७. विरोध 
८. पुत्र-धन लाभ 
९,विघ्न 
१०. सर्व सुख प्राप्ति  
११. समृध्धि 
१२. पराभव भय 

मंगल गोचर फल



मंगल  गोचर फल जन्मकी चन्द्र राशि से  विचार करे

१. मन उदासीनता,परिवारजन से विरोध,रक्तपित्त,उषणतां के रोग 
२.भय,बोलचाल,धन नाश 
३.प्रत्येक के कार्य में सफलता,सुवर्ण-चांदी अंलंकार की प्राप्ति, 
४. स्थान पतन,पेट के दर्द,शोक 
५. बंधु कलह,पुत्र चिंता,ज्वर,अनुचित इच्छा 
६. शत्रु कलह से निवृत्ति,रोग,सन्ति,जय,धन प्राप्ति,कार्य सिध्दि 
७. स्त्री कलह,नेत्र-जठर रोग 
८. ज्वर पीड़ा,धन-मन नाश,
९,धन नाश, दीनता,चलने में तकलीफ,धातु क्षय 
१०. कार्य में निष्फलता,
११. धन प्राप्ति,रोगनाश,स्थावर मिलकत वृध्धि 
१२. धन नाश,रोग पीड़ा 

चन्द्र गोचर फल



चन्द्र  गोचर फल जन्मकी चन्द्र राशि से  विचार करे 
१. भाग्योदय  
२. धन नाश 
३. कार्य सफलता 
४. भय  
५. शोक 
६. रोगनाश 
७. सुख 
८. अनिष्ट प्रसंग 
९,रोग 
१०. इष्ट कार्य की सिध्धि 
११. आनंद 
१२. व्यय 



सूर्य गोचर फल

गोचर गृह फल निर्णय :
 ज्योतिषशास्त्र में प्रत्येक ग्रह के चन्द्र राशि (जन्मकुंडली में स्थित चन्द्र की  राशि) बारह राशि के फल का निर्णय(विचार )बताया  है। 
  प्रत्येक ग्रह का राशि भ्रमण कही शुभ  अशुभ फल  है। जहा अशुभ देता है उस स्थान को वेध स्थान कहते  है। 
और शुभ फल  गोचर स्थान  है। 


सूर्य गोचर फल जन्मकी चन्द्र राशि से  विचार करे 
१. धन नाश,श्रम रोग पीड़ा,क्रोधी 
२. धन नाश ,अन्य से पीड़ित,दुखी,जिद्दी 
३. नए पद की प्राप्ति,धनलाभ,क्षत्रु विजयी,रोग से छुटकारा 
४. वन भ्रमण,रतिभोग में विघ्न,रोगी 
५. चित्त क्षोभ,अनेक मोह-रोग उद्भव 
६. क्षत्रुनाश,रोगनाश,शोक नष्ट 
७. मुसाफरी,पेट-गुदा के दर्द,अपमानित 
८. भय-रोग-कलह युक्त,राजदंडित,
९,अपमानित,कुटुंब से वियोग,मुस्केली,निराशा 
१०. भ्रमण,महान कार्य शिध्धि,सफलता 
११. नयी पदवी,धनलाभ,रोग नाश 
१२. वित्त नाश,मित्र से कलह,ज्वर