नक्षत्र यानि आकाश में स्थित तारा के समूह। ..
भारतीय ज्योतिषशास्त्र में जन्मकुंडली के आधार पर शुभ -अशुभ फल निर्णय होते है।
जन्मकुंडली याने जन्म के समय पूर्व क्षितिज पर उदित राशि। .. किन्तु शुभ-अशुभ फल का निश्चित समय का निर्णय करने के लिए दशा-अन्तर्दशा,गोचर के ग्रह,वेध विचार जैसे बहुत से विषयो को ध्यान में ले कर फल निर्णय कह शकते है । प्रथम नक्षत्र से विचार करे.....
ज्योतिष शास्त्र में पृथ्वी को पिंड (स्थिर) समजे तो सूर्य का जो भ्रमण मार्ग है उसे क्रांतिवृत्त कहा जाता है।
अर्थात वो ३६० डिग्री का वृत हुआ । उस के १२ राशि में विभाजित करने पर प्रत्येक राशि ३० डिग्री की प्रत्येक राशि होती है। इसी वृत को २७ नक्षत्रो से विभाजित करने पर प्रत्येक नक्षत्र १३ ° २०` होता है।
हमारा शास्त्र प्रत्येक नक्षत्र को ४ से विभाजित करता है । अर्थात १ नक्षत्र में ४ पाद (भाग) या चरण होता है।
इसीलिए १ राशि में २ नक्षत्र ओर तीसरे नक्षत्र का १ चरण(भाग ) आता है।
१ राशि =30 °
१ नक्षत्र =13° २०`
अर्थात १ राशि=९ नक्षत्र चरण
मेष राशि में अश्विनी(13° २०`) ,भरणी(13° २०`) ,कृतिका का प्रथम चरण (3° २०`)
वृषभ राशि में कृतिका (१० ° २०`),रोहिणी (13° २०`),मृगशीर्ष के प्रथम २ चरण (६° ४०`)
मिथुन राशि में मृगशीर्ष के अंतिम २ चरण (६° ४०`),आर्द्रा (13° २०`),पुर्नवर्सु के तीन चरण(१०°)
कर्क राशि के पुर्नवर्सु के अंतिम चरण (3° २०`),पुष्य (13° २०`) ,आश्लेषा के दो चरण (६° ४०`)
सिंह राशि में मघा(13° २०`) ,पूर्वा फाल्गुनी (13° २०`) ,उत्तरा फाल्गुनी का प्रथम चरण (3° २०`)
कन्या राशि में उत्तर फाल्गुनी के अंतिम तीन चरण(१०°),हस्त(13° २०`),चित्रा के दो चरण(६° ४०`)
तुला राशि में चित्रा के अंतिम दो चरण(६° ४०`),स्वाति (13° २०`),विशाखा के तीन चरण(१०° )
वृश्चिक राशि में विशाखा का अंतिम चरण (3° २०`),अनुराधा (13° २०`) ,ज्येष्ठा(13° २०`)
धन राशि में मूल (13° २०`) ,पूर्वाषाढ़ा (13° २०`) ,उतरा षाढ़ा का प्रथम चरण (3° २०`)
मकर राशि में उतरा षाढ़ा के तीन चरण (१०° ),श्रवण (13° २०`),धनिष्ठा के दो चरण(६° ४०`)
कुंभ राशि में धनिष्ठा के दो चरण (६° ४०`),शतभिषा (13° २०`) ,पूर्वा भाद्रपद के तीन चरण (१० ° )
मीन राशि में पूर्व भाद्रपद का अंतिम चरण (3° २०`),उत्तराभाद्रपद (13° २०`) ,रेवती (13° २०`)