Sunday, January 30, 2022

नक्षत्र विचार

     नक्षत्र के अन्य नाम:

(1) अश्विनी - दास्य, अश्व, आद्य, अश्विन, शरति, अश्वयुग, हय
 (2) भरणी - यम, अंतक, वर्तान, याभ्य।
 (3) कृतिका -वन्ही, सुरैया, हुताशन, अग्नि,बहुला
 (4) रोहिणी - ब्रह्म, ब्राह्म, घाता, घवारा, विधि, विरांची
 (5) मृगशीर्ष-मृग, शीश (चंद्रमा के नाम) हकुआ, सौम्य, मयंक
 (6)आर्द्रा - शिव, रुद्र, ईश्वर, हंजा, ताराका। 
(7) पुनर्वसु- आदित्य, जीरा, सुर, जननी
(8) पुष्य - जय, तीष्य, नसरा, अमरेज्य
(9) आश्लेषा -साप, तुर्फा, अही, भुजंग।
(10) मघा -पीतर, जवहा, जनक, पितृ
(11) पू. फाल्गुनी - भम, जेहरा, भाग्यपूर्वभग
(12) उ.फाल्गुनी -अर्यमन, सफा
(13)हस्त - हाथ, कर, अर्क, पतंग, रवि, अवा, आदित्य
(14)चित्रा - चित्रत्वाराष्ट्र, विश्व, समाक, त्वष्टा
(15)स्वाति -रुत, पवन, वायु, समीर, अनिल, गफरा
(16)विशाखा - प्रीश, इंद्राग्नि, ज़वा
(17) अनुराधा -मित्र, मैत्र, अकली
(18) ज्येष्ठा - इंद्र,शक, कल्ब, शतमुख, सुरस्वामी
(19)मूल - राक्षस, निरुति, कव्य,सोला,असूर,भुज
(20) पू.षाढ़ा- पानी, नीर, ना, पत्र, उडक, सालिब
(21) उ.षाढ़ा- वैश्य, विश्वदेव, बदला, वारी, पथ
(22) श्रवण - श्रति, कर्ण, विष्णु, हरि, बाला, विश्व
(23) धनिष्ठा - वसु, वासव, सोउट,हरी, श्रोणा
(24) शतभिषा - पाशी,वरुण,अरवदा, वसु
(25) पू.भाद्रपद - अजैकपाद, मुकइ, प्रचेला
(26) उ.भाद्रपद- अहिरबुधनन्य, मुझरख,अजैकपाद
(27) रेवती - पुषन,पौष्टा, अनय, रिशा
(28) अभिजीत - ब्रह्मा


1 नक्षत्र में ग्रहों के रहने का समय :
यदि ग्रह वक्री मार्गी होने पर समय में थोड़ा difference हो सकता है।

सूर्य नक्षत्र में - 13 दिन 
चंद्रमा - 24 से 25 घंटे 
मंगल - 20 दिन (लगभग) 
 बुध - 12 से 13 दिन (लगभग) 
 बृहस्पति - 163 दिन (लगभग) 
शुक्र - 13 दिन (लगभग) 
शनि - 13 महीने 20 दिन (लगभग) 
राहु - 243 दिन (लगभग) 
केतु - 243 दिन (लगभग)






सूर्य की गति निश्चित है। इसलिए हर साल सूर्य प्रत्येक नक्षत्र में निश्चित समय पर होता है।यह समय निर्यान पद्धति के अनुसार है।
और                                       यह नक्षत्र के नाम अक्षर है।
(1) अश्विनी में सूर्य   13 अप्रैल              चू, चे, चो, ला
(2) भरणीमें सूर्य 27 अप्रैल।                 ली, लु, ले, लो
(3) कृतिकामें सूर्य 10 मई                    आ, ई, उ, ए
(4) रोहिणीमें सूर्य 24 मई।                   ओ, वा, वी, वु
(5) मृगशीर्षमें सूर्य 7 जून।                   वे, वो,का, की
(6) आर्द्रामें सूर्य 21 जून।                    कु, घ, ड, छ
(7) पुनर्वसुमें सूर्य 5 जुलाई।                 के,को, हा,ही
(8)  पुष्यमें सूर्य 19 जुलाई।                 हु, हे, हो, डा
(9) आश्लेषामें सूर्य 2 अगस्त।              डी, डु, डे, डॉ
(10) मघामें सूर्य 16 अगस्त।               मा, मी, मू, में
(11) पू. फाल्गुनीमें सूर्य 29 अगस्त       मो, टा, टी, टू
(12) उ. फाल्गुनीमें सूर्य 13 सितंबर      ट्रे, टो, पा, पी
(13) हस्तमें सूर्य 26 सितंबर                पू, ष, ण, ठ
(14) चित्रामें सूर्य 10 अक्टूबर।             पे, पो, रा, री
(15) स्वातिमें सूर्य 23 अक्टूबर            रू, रे, रो, ता
(16) विशाखामें सूर्य 5 नवंबर              ती, तू, ते, तो
(17) अनुराधामें सूर्य 19 नवेंबर।         ना, नी, नु, ने
(18) ज्येष्ठामें सूर्य 2दिसंबर।               नो, य, यी, यु
(19) मूलमें सूर्य 16दिसंबर।                ये, यो, भा, भी
(20) पू.षाढ़ामें सूर्य 29 दिसंबर।         भु, धा, फा, ढा
(21) उ.षाढ़ामें सूर्य 11 जनवरी।         भे, भो, जा, जी
(22) श्रवणमें सूर्य 23 जनवरी            खी, खू, खेे, खो
(23) धनिष्ठामें सूर्य 5 फरवरी              गा, गी, गू, गे
(24) शतभिषामें सूर्य 18फरबरी।        गो, सा, सी, सू
(25) पू.भाद्रपदमें सूर्य 4 मार्च।           से, सो, दा, दी
(26)उ.भाद्रपदमें सूर्य 17 मार             दू, ज्ञा, झा, था
(27)रेवतीमें सूर्य 30 मार्च                   दे, दो, चा, ची

पंचक - धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद, रेवती ये अंतिम पांच नक्षत्र पंचक कहलाते है। इनमे प्रायः शुभकार्य, काष्टकर्म, पुतलादहन, यात्रा, दक्षिण दिशा यात्रा, व्यापार-व्यवसाय, कार्य प्रारम्भ या नवीन कार्य वर्जित है।

नक्षत्र भेद - गुणो के आधार पर नक्षत्रो के सात भेद है। 1 ध्रुव, 2 चर, 3 उग्र, 4 मिश्र, 5 क्षिप्र, 6 मृदु, 7 तीक्ष्ण। 
1 ध्रुव - रोहिणी, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तरा भाद्रपद ये ध्रुव नक्षत्र है। इनमे गृहारम्भ, विवाह, उपनयन, शान्ति, कृषि कर्म आदि सिद्ध होते है। 
2 चर - पुनर्वसु, स्वाति, श्रवण, घनिष्ठा, शतभिषा ये चर नक्षत्र है। इनमे यात्रा, नृत्य, अल्पकालीन कार्य, सवारी, फुलवारी आदि सिद्ध होते है। 
3 उग्र - भरणी, मघा, तीनो पूर्वा (फाल्गुनी, षाढ़ा, भाद्रपद) ये उग्र नक्षत्र है। इनमे विष, अग्नि, शस्त्र, घात कर्म, मारण, क्रूर कर्म सिद्ध होते है। 
4 मिश्र - कृतिका तथा विशाखा ये मिश्र सज्ञक नक्षत्र है। इनमे अग्नि कार्य, अग्निहोत्र, विष, भय युक्त कार्य, अपमिश्रण, गृह, मिश्रित कार्य, वृषस्वार्गादि सिद्ध होते है। 
5 क्षिप्र - अश्वनी, पुष्य, हस्त, तथा अभिजीत इनकी लघु संज्ञा है। इनमे वाणिज्य, रति, आभूषण धारण करना, राजगिरि कार्य कला, मंगल कार्य सिद्ध होते है। 
6 मृदु - मृगशीर्ष, अनुराधा, चित्रा, रेवती ये मृदु नक्षत्र है। इनमे गीत-गायन, विहार, वस्त्र धारण, मित्र कार्य, एवं समस्त शुभ कार्य सिद्ध होते है। 
7 तीक्ष्ण - आर्द्रा, आश्लेषा, ज्येष्ठा, मूल ये तीक्ष्ण संज्ञक नक्षत्र है। इनमे अभिचार, व्यभिचार, भ्रष्टाचार, अनाचार, दूराचार, घात, धोखा, तोड़-फोड़, पशुदमन आदि उग्र कर्म सिद्ध होते है।

नक्षत्र को गण निम्न है।
देव गण - जातक सत्यभाषी, शुद्ध आचारणी, ईश्वर भक्त, उदार, लोक कल्याणक, प्रभावी, विद्याअभ्यासी, या विश्व प्रेमी, दैविक शक्ति प्राप्त, साहसी, संघर्षशील, दुःख मे भी शान्त, सहृदयी, क्षमावान, धार्मिक, पर्यटन प्रिय, सत्संगी, विवेकशील, स्वानुगामी, दानी, बुद्धिमान, अल्पाहारी, सत्व गुणी होता है।
मनुष्य गण - जातक मानी, आत्म विश्वासी, प्रेमी, धन लोलुप, शीध्र आसक्त, विषय वासना युक्त, घर कुटुम्ब स्त्री से विशेष प्रेम, धनवान, स्वार्थी, तनाह, नगर वासियो को वश मे करने वाला, रजोगुणी होता है।
राक्षस गण - जातक गुस्सैल, झगड़ालू, भूल का अस्वीकारी, दूसरो की हानि परेशानी तकलीफ दुःख से खुश, श्रेष्ठ क्षमतावान, निडर, पराक्रमी, महत्वाकांक्षी, अस्वस्थ, तीक्ष्ण भाषी, वाचाल, मनमौजी,  साहसी, बन्दे को फजीते मे ही मजा वाला तामसी होता है। किसी-किसी जातक में ये दोष अत्यंत ही अल्प परिमाण मे होते है ऐसा सूर्य चंद्र की प्रबलता के कारण होता है।
गण के  गुण धर्म अनुसार पति-पत्नी, मालिक-नौकर, पिता-पुत्र, व्यक्ति-प्रतिव्यक्ति, आदि के आपसी सम्बन्ध, भविष्य, सफलता,  निराकरण, जय पराजय आदि का विचार किया जाता है।
 देव गण नक्षत्र: 
अश्विनी, पुष्य, मृगशीर्ष, हस्त, पुनर्वसु, स्वाति, अनुराधा, श्रवण, रेवती
मनुष्य गण नक्षत्र: 
भरणी, आर्द्रा, रोहिणी, पू.फाल्गुनी, उ. फाल्गुनी, पू.भाद्रपद, उ.भाद्रपद, पू.षाढ़ा, उ.षाढ़ा

राक्षस गण नक्षत्र :
कृतिका, आश्लेषा, मघा, चित्रा, विशाखा, ज्येष्ठा, मूल, धनिष्ठा, शतभिषा




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